
जिस तरह से यहाँ की नारी अपना दायित्व निभाती है, उनपर ये कहावत सटीक बैठती है। जंगल से घास ,लकड़ियाँ लाने से लेकर, खेत खलिहान में काम करना ओर घर के चौके चूल्हे से लेकर अनेकों कार्य जिस तरह से करती है वो काबिलेतारीफ है।
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बारिश का मौसम हो और साथ में भट्ट भून के खाने का स्वाद ही कुछ और है।
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गाँव के मुहाने वाला घर जहा सब मिल दातुली मे धार लगाते थे।
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पहाड़ो मैं इस टाइप के घर कितने अच्छे लगते है बिल्कुल सुनसान जगहों पर।
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काश कि इन गाड़ियों की छतों में हल्द्वानी से सेब और आम की पेटियां भी इसी तरह वापस आती तो कितना अच्छा ...
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हमारे बड़े-बुजुर्ग कहते थे चाहे कितनी ही विपत्ति आ जाए पर अपने पूर्वजों की घर कुड़ी मत बेचना।
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पहाड़ों में बना पुरानी शैली के सुन्दर मकान। Beautiful old style house built in the mountains.
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पहाड़ों मे होने वाली सब्जियां जो बरसात के समय मे होती है।
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पूरी बाखली पलायन कर गयी जहां कभी खुशियाँ बसती थी। The entire Bakhli has fled where happiness used to...
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