
सुख हो लेकिन शांति न हो तो समझना कि आप सुविधा को गलती से सुख समझ रहें हैं। ये वीरान पड़े खुबसूरत घर इस बात के गवाह हैं कि पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी वाकई में पहाड़ों के बिल्कुल काम नहीं आती। बेहतर सुविधाओं की आस में पलायन की वजह से कमोवेश हर जगह एक जैसी स्थिति बनी हुई हैं,मरे हुए आदमी को भी चार लोग मिल जाते हैं मगर पहाड़ों में कहीं-कहीं तो हालत ऐसे हैं कि अगर कोई बीमार पड़ जाए तो हाॅस्पिटल ले जाने के लिए भी चार कंधे नहीं मिल पाते हैं, पहाड़ों की ऐसी तस्वीरों को देखकर दिल में बहुत ही दर्द होता हैं।