एक दृश्य ऐसा भी डोबरा चाटी पुल टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड का।
एक दृश्य ऐसा भी डोबरा चाटी पुल टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड का।

एक दृश्य ऐसा भी डोबरा चाटी पुल टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड का।
आज दादी जी की वृद्ध पेंशन मिली बल अर दादी जी अपड़ी दगड्या दगड़ी सीधा चाउमीन खाँण बाजार पहुँचगि, योंका भी कुछ शौक छन् जब दगड़ा छ हमारा, खुशी-खुशी आप लोग भी अपड़ा घर का बुजुर्ग लोगों की सेवा शौक पुरा करदी रा वा।
पंचाचूली में इस घर ने मन मोह लिया इस खूबसूरत पहाड़ी घर के सामने का दृश्य कुछ ऐसा था कि जैसे प्रकृति ने अपनी पूरी शांति और सौंदर्य को यहां बिखेर दिया हो। दूर हिमालय त्रिशूल एवं मृगथुनी की हिमधवल चोटियां बर्फ की सफेद चादर...
उत्तराखंड बागेश्वर जिले के बिजोरिया ग्राम निवासी श्री इन्द्र सिंह धामी जी द्वारा बनाया गया चीड़ के छाल का गागर (गगेरी) व हुड़का क्या मस्त कलाकारी है। वाकई में उत्तराखंड के लोगों मे प्रतिभाओं की कोई कमी नही है। आप भी देखिये उनके द्वारा चीड़...
पंचाचूली की यात्रा के दौरान इस घर ने सचमुच मन मोह लिया। यह खूबसूरत पहाड़ी घर जैसे प्रकृति के समस्त सौंदर्य और शांति का प्रतीक हो। घर के सामने से दृश्य इतना अद्भुत था कि ऐसा लगता था जैसे हिमालय की त्रिशूल और मृगथुनी की...
दोस्तों ये है अनिता नेगी, उत्तराखंड के पौड़ी जिले अंतर्गत गरूड़ चट्टी नीलकंठ मार्ग पर पिछले 30 सालों से पकोड़े बना रहे हैं। पहले मजबूरी थी, अब शौक से तैयार करते हैं। इनकी दुकान के पकोड़े एक बार आप खाओगे तो दुबारा जरूर आओगे। यहाँ...
सबिता पहाड़ को मानती है, खजाना जितना मेहनत करो उतना कमाओ। जहां पहाड़ के युवा दस – बीस हजार की नौकरी के लिए अपने घर व खेतों को बंजर छोड़कर शहरों में 8 से 12 घंटे तक कमर तोड़ मेहनत को मजबूर होते हैं।...
नई टिहरी में हर वर्ष की भांति इस बार भी शरद – शिशिर में पय्यां (पदम) के फूलों के बाहर छा गई है। कुछ सालों से ये हफ्ते से दो हफ्ते पहले खिलने लगे हैं। दूसरी यह बात भी नोटिस की गई है कि पेड़...
तो दोस्तों सुरी साजवाण उत्तराखंड के टिहरी जिले गांव खांकर के मूल निवासी है और वर्तमान समय में न्यूजीलैंड में कार्यरत, हाली मै सुरी साजवाण ने चिमशी बांन्द गाना रिलीज़ किया जिसकी वीडियो विदेशियों ने यानि भारत से बाहर के देश के रहने वाले लोगों...
दोस्तों ये है देवेन्द्र प्रसाद, उत्तराखण्ड राज्य के पौड़ी जिला अंर्तगत, ब्लॉक यमकेश्वर के ग्राम उमड़ा, डांग के निवासी है। पित्रों की भूमि को नहीं छोड़ पाए देवेन्द्र। ये हैं, तो जिंदा है गांव आज भी। देवेन्द्र प्रसाद जैसे ही सैकड़ों किसानों की बदौलत उत्तराखण्ड...