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क्या जम्बूद्वीप का ही अर्थ सनातन साम्राज्य है? Does Jambudweep mean the Eternal Empire?

इस विषय में हमारा वायु पुराण कहता है…. सप्तद्वीपपरिक्रान्तं जम्बूदीपं निबोधत। अग्नीध्रं ज्येष्ठदायादं कन्यापुत्रं महाबलम।। प्रियव्रतोअभ्यषिञ्चतं जम्बूद्वीपेश्वरं नृपम्।। तस्य पुत्रा बभूवुर्हि प्रजापतिसमौजस:। ज्येष्ठो नाभिरिति ख्यातस्तस्य किम्पुरूषोअनुज:।। नाभेर्हि सर्गं वक्ष्यामि हिमाह्व तन्निबोधत। (वायु 31-37, 38) महाभारत में कहा गया है कि – यह पृथ्वी चन्द्रमंडल में...

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प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में ‘उत्तरी भारत’ को आर्यावर्त (आर्यों का निवासस्थान) कहा गया है।

ऋग्वेद में आर्यों का निवासस्थल “सप्तसिंधु” प्रदेश के नाम से अभिहित किया जाता है। ऋग्वेद के नदीसूक्त (10/75) में आर्यनिवास में प्रवाहित होनेवाली नदियों का एकत्र वर्णन है जिसमें मुख्य ये हैं – कुभा (काबुल नदी), क्रुगु (कुर्रम), गोमती (गोमल), सिंधु, परुष्णी (रावी), शुतुद्री (सतलज),...

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देवलगढ़: गढ़वाल साम्राज्य का एक खोया हुआ रत्न। Devalgarh: A Lost Gem of the Garhwal Kingdom.

उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल से 17 किमी दूर पहाड़ी पर बसा देवलगढ़, ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है, खासकर 16वीं शताब्दी की शुरुआत में गढ़वाल साम्राज्य की पूर्व राजधानी के रूप में। राजा अजय पाल द्वारा 1512 में चांदपुर गढ़ी से देवलगढ़ में राजधानी स्थानांतरित करने...

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काफल पर सितंबर में फूल।

यह तो कुछ ज्यादा ही गजब हो रहा है। नई टिहरी के पास के गांव में काफल के दो पेड़ों पर आजकल फूल आ रहे हैं। इन पेड़ों को पिछले 10-12 साल से बेमौसम फूल आना दो-तीन साल से देखे जा रहें है। पिछले साल...

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बीते एक पखवाडे से चल रही मां नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा का आज समापन हो गया।

नंदा की वार्षिक लोकजात !– जा मेरी गौरा तू, चौखम्भा उकाली.. कैलाश विदाई के साथ ही नंदा के लोकोत्सव का समापन.. आखिरकार बीते एक पखवाडे से चल रही मां नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा का आज समापन हो गया। उच्च हिमालयी बुग्याल में श्रद्धालुओं नें...

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पुराने लकड़ी के घर आमतौर पर ग्रामीण इलाकों या पहाड़ी क्षेत्रों में पाए जाते हैं।

पुराने लकड़ी के घर आमतौर पर ग्रामीण इलाकों या पहाड़ी क्षेत्रों में पाए जाते हैं और अपनी अनोखी वास्तुकला और पारंपरिक शिल्प कौशल के लिए प्रसिद्ध होते हैं। इन घरों का निर्माण मुख्य रूप से स्थानीय रूप से उपलब्ध लकड़ी से किया जाता है, और...

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दुनिया को पृथ्वी के गोल होने का कन्फर्म ज्ञान आज से 500-600 साल पहले मिला, जबकि यह मूर्ति जगन्नाथ मंदिर में हजारों साल पहले से है।

इस मूर्ति को गौर से देखो।  यह विष्णु भगवान के वराह अवतार की है जिसमे वह पृथ्वी को समुद्र में से निकालते हुए दिखाए गए है।  अब सबसे बड़ा आश्चर्य ये होता है की इसमें पृथ्वी का आकार गोल दिखाया गया।  और दुनिया को पृथ्वी...

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