भारत का पहला गाँव व उत्तराखंड के जिला पिथौरागढ़ की दारमा घाटी का अंतिम गाँव सीपू। सीपू गाँव की मान्यता है कि जब आदिदेव महादेव पहली बार कैलाश गए थे तब इसी गाँव से होकर गए थे। अगर इस जनजाति की स्थानीय भाषा का संज्ञान लेकर इस गाँव के नाम से जोड़ा जाय तो सीपू यानि सी =शिब पू = बड़ा भाई।

इस गाँव के लोग महादेव को अपना बड़ा भाई मानते हैं। किंवदति है कि महादेव के कैलाश प्रस्थान के समय उनका यहाँ एक रात का ढेरा रहा है। यहीं शिब के पग चिन्ह भी हैं। गाँव के पास ही एक गुफा में आज भी यहाँ का जनमानस अपने बड़े भाई आदिदेव महादेव की पूजा करते हैं।

माह अप्रैल के अंतिम सप्ताह में जब बर्फ पिघलने लगती है तब यहाँ का जन मानस जो पिथौरागढ़ या जौलजीवी इत्यादि स्थानों में सर्दियों के दिन 06 माह के प्रवास रहता है वह वापस अपने गाँव सीपू लौटता है। और 06 माह यानि मई से अक्टूबर तक सीपू गाँव में रहने के बाद फिर नवम्बर से लेकर अप्रैल तक 06 माह के बर्फीले मौसम में नीचे जौलजीवी व पिथौरागढ़ प्रवास हेतु आ जाता है।

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