
तुमरी खुद अब कै तैं नि लगणीं तुम खुदेणां छां त खुदे ल्या। गढ़रत्न नेगी जी के महान गीत की ये पंक्तियां एकदम पहाड़ में कई बुजुर्गों की जिंदगी की सच्चाई है।
Related posts:
पहाड़ी क्षेत्रों में होटलो का जो स्वरूप था अब वह बदल रहा है वहां पर छोटे-छोटे कॉटेज नुमा घर बन रहे ह...
Culture
पौडी गढ़वाल रिखणीखाल रथुवाढाबा - तिलक बहादुर चाय ''चाहा'' वाले।
Culture
भारतवर्ष में यह परंपरा सदियों से चली आई है विशेष अवसरों पर धोती पहनकर एक साथ जमीन पर बैठकर भोजन ग्रह...
Culture
विलुप्त होती घर के छत लगाने की प्राचीन और पक्की विधि स्लेट वाली छतें।
Culture
जौनसार बावर का सुप्रसिद्ध वाद्य ढोल की जुगलबंदी जरूर देखें।
Culture
विलुप्त होती घर के छत लगाने की प्राचीन और भरोसेमंद विधि स्लेट।
Our Village
सुनो! मैं केदारनाथ बोल रहा हूं।
Culture
पहाड़ों में बना पुरानी शैली के सुन्दर मकान। Beautiful old style house built in the mountains.
Culture
बिरुड़ पंचमी की शुभकामनाएं। कुमाऊं में सातू-आठू यानि गौरा पर्व मनाया जाता है।
Festival