Home » General Knowledge » 1868: गंगोत्री के एक ग्रामीण की सबसे पुरानी तस्वीरों में से एक।

1868: गंगोत्री के एक ग्रामीण की सबसे पुरानी तस्वीरों में से एक।

1868: गंगोत्री के एक ग्रामीण की सबसे पुरानी तस्वीरों में से एक। यह तस्वीर 1868 में प्रकाशित ‘पीपुल्स ऑफ इंडिया’ पुस्तक में छपी थी। ग्रामीण का नाम तो नहीं बताया गया है, लेकिन पाठ में बताया गया है कि व्यक्ति की उम्र 25 साल है और उसकी लंबाई 5.4 फीट है। ग्रामीण अपनी पीठ पर नमक ढो रहा है। उसने फोटोग्राफर को आश्चर्यचकित कर दिया क्योंकि उसके एक हाथ में हुक्का और दूसरे हाथ में डंडा था। यह तस्वीर देहरादून में ली गई थी। जिससे यह भी साबित होता है कि दूर-दराज के इलाकों से ग्रामीण जरूरी सामान खरीदने के लिए देहरादून आते थे।

Related posts:

बेडू के पेड़ का 24 cm चौड़ा पत्ता।

General Knowledge

देवप्रयाग जहां श्री राम जी ने ब्रह्म हत्या के दोष निवारणार्थ अलकनन्दा भागीरथी के संगम पर तपस्या की थ...

Culture

उत्तराखंड की सबसे पुरानी और सबसे पहली झील। The oldest and the first lake of Uttarakhand.

General Knowledge

पहाड़ी शैली में बने "पठाल" की छत वाले घर उत्तराखण्ड की समृद्ध वास्तुकला के प्रतीक हैं। 

General Knowledge

उत्तराखंड मे प्राचीन शैली से बने मिट्टी के घर जिन्हे "पहाड़ी कुड़ी" भी कहा जाता है।

Culture

उत्तराखंड के लोक गायक पप्पू कार्की का जीवन परिचय। Biography of Uttarakhand folk singer Pappu Karki.

General Knowledge

देवलगढ़: गढ़वाल साम्राज्य का एक खोया हुआ रत्न। Devalgarh: A Lost Gem of the Garhwal Kingdom.

General Knowledge

कोदियाबगढ़ बने देश की ग्रीष्म ऋतु राजधानी, नेहरु ने जारी किए सर्वे के लिए 5000 रुपये

Uttarakhand Tourism

श्रीनगर गढ़वाल: 286 वर्ष पुरानी राजधानी, अब उत्तराखंड के प्रमुख शहरों में एक!

General Knowledge
यह भी पढ़िये :-  प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में 'उत्तरी भारत' को आर्यावर्त (आर्यों का निवासस्थान) कहा गया है।

About

नमस्कार दोस्तों ! 🙏 में अजय गौड़ 🙋 (ऐड्मिन मेरुमुलुक.कॉम) आपका हार्दिक स्वागत 🙏 करता हूँ हमारे इस अनलाइन पहाड़ी 🗻पोर्टल💻पर। इस वेब पोर्टल को बनाने का मुख्य उद्देश्य 🧏🏼‍♀️ अपने गढ़ समाज को एक साथ जोड़ना 🫶🏽 तथा सभी गढ़ वासियों चाहे वह उत्तराखंड 🏔 मे रह रहा हो या परदेस 🌉 मे रह रहा हो सभी के विचारों और प्रश्नों/उत्तरों 🌀को एक दूसरे तक पहुचना 📶 और अपने गढ़वाली और कुमाऊनी संस्कृति 🕉 को बढ़ाना है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*
*